Friday, May 27, 2011

ये दिल पागल दिल मेरा....

कभी मिल पाएंगे तुमसे, बस ये ही सोचता रहता है,
सोच सोच तेरे बारे में ये दिल मेरा मरने लगा है,

गम की ऐसी आदत पड़ी है मेरे इस पागल दिल को,
गम ही ठीक है, छोटी सी ख़ुशी से भी डरने लगा है,

रात रात भर जगा करते हैं तेरी बातें याद करके,
कहीं तुझे याद न आ जाऊं, यादों से भगने लगा है,

मेरी नादानियों की ऐसी सजा मिली है मुझको,
अब तो दिल कुछ अच्छा करने से भी बचने लगा है,

पहले तो तू थी बस दिल-ओ-दिमाग में हर वक़्त,
अब तो जिंदगी में भी बस तुझे ही ढूँढने लगा है,

जानता तो है की हर सपने सच नहीं हुआ करते,
फिर भी हर सपने में तुझे ही देखने लगा है,

कभी गुरूर में ही रहता था मैं तेरे साथ होने के,
अब तो ये दिल खुद से भी नज़रें चुराने लगा है,

बस प्यार करना ही चाहते थे तुझको, पाना तो नहीं,
तेरे जाने के बाद तो और भी प्यार करने लगा है,

कोई परीक्षा ही ले रही होगी तुम मेरी वफ़ा की,
दिन रात बस पास होने का इंतज़ार करने लगा है,

जो लिखने बैठा है तेरी बातें, शुरू जब करता है,
समय के साथ साथ खुद को भी भूलने लगा है,

पल पल तेरी याद में आंसू बहाता रहता है आज कल,
आ जाओ वापस अब तो आंसू भी रोने लगा है !!!

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