Tuesday, November 22, 2011

कुछ यादें याद आयीं...

आज वो तेरा आँखों को चमकाना याद आया,
तेरी मीठी बातों में तेरा तुतलाना याद आया,
ज़माने के लिए तो जुदा हो गए हैं हम दोनों,
पर मुझमें बसा, तेरा वो मुस्कुराना याद आया !!1!!


आज वो तेरा बालों को बांधना याद आया,
हर सुबह उठते ही से मुझे उठाना याद आया,
वैसे तो बहुत सताया है इस बुद्धू ने तुम्हे,
पर तेरा मुझपे प्यार से गुस्साना याद आया !

... to be continued

यादों के साए में....

तू अब मेरी किस्मत में नहीं है,
मुझे भी खुद से शिकायत रही है,
तेरा ही ख्याल आता है हर वक़्त,
तू मेरी हर इबादत में रही है !
~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~
आज फिर इस सूनेपन में तेरी मीठी यादों ने रुला दिया,
तुम खुश होगी मेरे ही बगैर ये सोच दिल को बहला लिया !
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वो जो तेरा हो न सका, तुझे कभी भी भुला न सका,
खोया रहा तुझ में ही, चैन से खुद को सुला न सका !
~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~

क्यूँ आती हैं तेरी यादें जब तुम्हे आना ही नहीं,
क्यूँ होती हैं बरसातें जब हमें भीगाना ही नहीं ?
क्यूँ हो गए हम दीवाने जब तुमने जाना ही नहीं,
क्यूँ हुए इतने फ़साने जब हमें मिलाना ही नहीं ??
~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~
वो तेरे गीले बालों की महक,
वो तेरी मुस्कान की चमक,
जिन्दा रखी है मुझे अब तक,
तुझसे मिलने की ललक !

ये मेरे नादां दिल की कसक,
ये मेरी ज़िन्दगी की दमक,
क्या क्या रंग दिखाती है,
तुझमें समाने की सनक !
~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~ ! ~
तुम्हे अब मुझसे बात नहीं करनी,
मुझे फिर शुरुआत नहीं करनी,
बैठ फुर्सत से निहारना चाहता हूँ,
आँखों से रोज़ बरसात नहीं करनी !

Wednesday, November 16, 2011

कुछ यूँ ही...

कुछ ऐसे रास्तों से गुज़रे हैं सपने मेरे,
कि अब सपने देखने से भी डर लगता है !

जी यहाँ लगता नहीं, जा वहां सकता नहीं,
क्यूँ इतना दूर मुझे अपना ही घर लगता है !

सिक्कों और कागजों की भूख में ऐसे पड़े हैं,
कि अब 'कर' पर कई और 'कर' लगता है !
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खुद कि तो सुध भी नहीं है जिसे,
ज़माने भर कि वो खबर रखता है !

मेरी नादानियों कि यही सजा है,
अपने से दूर मुझे शहर रखता है !

कोई परेशां है बढ़ते वजन से तो,
कोई 'जीरो' साइज़ कमर रखता है !