Wednesday, May 4, 2011

मैं और ज़माना !

मेरे उनको देख मुस्कुराना, उनका मुझे देख शर्माना,
सिलसिला ये चलता रहा, ज़माना सारा जलता रहा !

न मेरे उनसे कुछ कहना, न उनका लबों को हिलाना,
बात ऐसे ही होती रही, ज़माने को जलन होती रही !

मेरा उनपे गज़ल बनाना, उनका मुझसे नज़रें चुराना,
शब्दों को वो गिनती रही, दुनिया मायने लगाती रही !

मेरा उनके इन्तेज़ार में बैठना, उनका इन्तेज़ार कराना,
दिल मेरा बैठ रोता रहा, ज़माना सारा मुझपे हँसता रहा !

बदला तो नहीं मेरा प्यार, पर बदल गया उनका यार,
कभी जलता था ज़माना, आज हँसता है वही ज़माना !!!


3 comments:

  1. kya baat hai,very nice "MOHBBAT PE HASTA HAI JAMANA TU PARWAH NA KAR,CHIRAGE MOHBBAT KO ROSHAN RAKH YUNHI,TUFFAN TO AATE RAHTE HAIN,PARWANE DARTE NAHI EEN TUFFANO SE,MOHBBAT KE CHIRAGON SE TUFFANO KA SEENA FAAD DETE HAIN----------------

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  2. Shukriya Vishnu Bhaiya !

    Bahut sundar likha hai !

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  3. Zrre Zarre pe naam unka likh dala tune,bala ki khubsurat rahi hogi unki surat,tabhi to aaj khus hoti hai unki nazre,dekh kar khud ki hi murat.

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