Wednesday, May 18, 2011

हम तो कुछ कर पाए नहीं...

रुला के किसी को हम हँस पाए नहीं,
रोटी छीन किसी की हम खा पाए नहीं,
भलाई करके हम कभी पछताए नहीं,
शायद काम किसी के हम आ पाए नहीं !

ज़माने भर के एहसानों को चुका पाए नहीं,
दोस्ती तो की हमने पर निभा पाए नहीं,
गम तो बाँट दिए ख़ुशी कोई दे पाए नहीं,
ख़ुशी के बदले गम किसी का ले पाए नहीं !

इश्क तो किया पर कह हम पाए नहीं,
चाह कर भी प्यार हम दे पाए नहीं,
कोशिश तो की पर तुझे भुला पाए नहीं,
खुद को खोकर वापस हम ढूंढ पाए नहीं !

टूट कर जो बिखरे फिर जुड़ पाए नहीं,
आयना में भी हम खुद को देख पाए नहीं,
आँखें तो भीग गयीं पर हम रो पाए नहीं,
थक कर भी रातों को हम सो पाए नहीं !

झूठे नहीं हैं हम पर सच लिख पाए नहीं,
अपनों की चिंता में सच हम कह पाए नहीं,
मन की बात हम अपनी लिख पाए नहीं,
दिल की जुबान से कुछ कह पाए नहीं !

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