Sunday, July 31, 2011

Day & Night !



Day starts with Brightness of Motivation But ends uP with the Darkness of Truth...    
       Day starts with Rays of HoPe But ends uP with the Truth of Failure...
       Day starts with SPirit of Living But ends uP with the Feeling of Dying...
     Day starts with Joy of winning But ends uP with the Pain of Losing...
    Day starts with Smile on Face But ends uP with the Tears in Eyes...

But

Day starts with memory of yours & ends uP with memory of yours...

Day & Night I think of you !
Day & Night I live for you !
Day & Night I die for you !
Day & Night I miss you !
Day & Night I love you !

Day & Night I feel sorry to you...

Thursday, July 28, 2011

बोझ !

बचपन में पढाई का बोझ !
थोड़े बड़े हुए रुपयों का बोझ !
थोडा और बड़े हुए, करियर का बोझ !
और बड़े हुए जिम्मेदारियों का बोझ !
फिर थोड़े और बड़े हुए तो परिवार का बोझ !
और बड़े हुए समाज का भी बोझ !
इन बोझों को उठाते उठाते बहुत से पाप किये, बहुत से हुए!
अब बूढ़े हो गए तो अपने ही पापों का बोझ !

क्या इंसान एक मजदूर है ?

Sunday, July 24, 2011

दोस्ती और मोहब्बत


उसकी दोस्ती ने मेरी मोहब्बत को हरा दिया,
दोस्ती सबसे बढ़कर है ये परचम लहरा दिया !

अपनी अदाओं पे तुमने हमको खूब चरा दिया,
सोया जो चैन से तेरे सपनों ने मुझे डरा दिया !

जिंदगी का तोहफा भी तुमने दर्द से भरा दिया,
मेरे गुनाहों के बदले तुमने दर्द बहुत ज़रा दिया !

जिंदगी ने मेरे कर्मों का फल खूब खरा दिया,
पागल था दिल अच्छा किया जो ठुकरा दिया !

एक खिलती कली !

वाह ! आज देखी तेरी दरिया दिली,
दुश्मन से भी तू दोस्त जैसे मिली !

यहाँ तूफान में उजड़ रहे थे हम,
वहां तेरे पास तो हवा भी न चली !

मेरे जाते ही तुमको वो सुकून मिला,
मानो कितनी बड़ी कोई बला टली !

गुलशन के इंतज़ार में बैठे थे हम,
कुचल दी तुमने वो एक खिलती कली !

Friday, July 22, 2011

A Dream...


In a wonderful calm night,
Sitting under moon light,
Your face is looking bright,
A dream is, this lovely sight !

... to be continued !

Tuesday, July 19, 2011

न जाने क्यूँ !


मैं भी कभी खुल के जीना चाहता था,
साथ सबके हंसने की चाह रखता था,

खुश करने की सबको कोशिश करता था,
दिल से सबसे मैं हरदम मिला करता था,

झूठ कहने से मैं बचा करता था,
सच कहने से न कभी डरता था,

कुछ सपने मैं भी देखा करता था,
कुछ करने की तमन्ना रखता था,

न जाने कहाँ खो गया है सब,
न जाने क्यूँ बदल गया मैं अब !