Sunday, April 24, 2011

अभिलाषा

हे प्रभु !
तुझमे ही मिल जाऊं मैं,
किसी के काम आऊं मैं,
कुछ भला कर पाऊं मैं,
किसी को कुछ दे पाऊं मैं,
बस इतनी सी है अभिलाषा मेरी,
है तुझसे मुझे उम्मीद ये होंगी पूरी,

हे दाता !
किसी का दर्द बाँट पाऊं मैं,
किसी को ख़ुशी दे पाऊं मैं,
किसी के मकसद में मदद कर पाऊं मैं,
किसी के जीवन में ख़ुशी ला पाऊं मैं,
बस इतनी सी है अभिलाषा मेरी,
है तुझसे मुझे उम्मीद ये होंगी पूरी,

हे नाथ !
किसी के मन में बस जाऊं मैं,
किसी का अपना बन जाऊं मैं,
काम कुछ देश के लिए कर जाऊं मैं,
जीवन ये अपना सफल कर जाऊं मैं,
बस इतनी सी है अभिलाषा मेरी,
है तुझसे मुझे उम्मीद ये होंगी पूरी,

हे प्रियवर !
सच्चा प्रेम समझ पाऊं मैं,
उन्हें भी कुछ दे पाऊं मैं,
उनके जीवन के सब दुःख अपनाऊं मैं,
अपनी हर एक ख़ुशी उनपे लुटाऊं मैं,
बस इतनी सी है अभिलाषा मेरी,
है तुझसे मुझे उम्मीद ये होंगी पूरी,

हे स्वामी !
चाहे कुछ भी न पाऊं मैं,
आपका ही हो जाऊं मैं,
आपका भक्त कहाऊं मैं,
आपका दास हो जाऊं मैं,
बस इतनी सी है अभिलाषा मेरी,
है तुझसे मुझे उम्मीद ये होंगी पूरी !

(Thanks to Sangeeta Ji for inspiration)

4 comments:

  1. Aditya ...this is really very nice..with wonderful thought...abhi tak ki sabse acchi kavita...bahut bahut badhai tumko.

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  2. @Vanadana Didi: Thank you so much !!!
    Sab badon kaa aashirwaad aur Prabhu ki kripa hai !
    waqai me ye meri sacchi abhilasha hai !!!

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  3. दोस्त ,आप जो उससे चाहते हैं उसमें बहुत कुछ आपके वश में है,हाँ उसकी मर्जी भी होनी ज़रूरी है नैतिक बल के लिए..सुंदर अभिव्यक्ति !

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  4. @संतोष जी: प्रणाम ! मैं अपनी तरफ से पूरा प्रयास करता हूँ,
    जिंदगी बहुत खूबसूरत है, परन्तु थोड़ी उलझी हुई है.
    मैं अपने पथ से भटक न जाऊं और अगर भटकूँ तो कुछ लोग हों जो मुझे सही राह बता सकें, इसके लिए ये अभिलाषा यहाँ लिखी...
    उन्हें भी पता होगा, और सबसे मुख्य रूप से प्रभु तक पहुंचेगी !
    आप बड़ों का आशीर्वाद मिलेगा..
    धन्यवाद इसे पढने और मेरे प्रोत्साहन के लिए !
    :)

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