Thursday, April 7, 2011

मुझे मंजिल कि चाह नहीं, अगर राह में साथ तेरा हो !


मेरा उनसे दिल लगाना, ज़माने को गलत लगा,
खुद का एक यही फैसला, तो मुझे सच्चा लगा !!!

वो हमे चाहे ये तो हम कभी ना चाहे,
हम उनको ही चाहे बस यही तो चाहे !


चाह के भी तुझे चाह नहीं सकते, 
और बिना चाहे हम रह नहीं सकते !

न नींद आती है रात में, न आँख खुलती है सुबह में,
जाने कब मिलेंगे तुमसे यही सोच जिंदगी गुज़रती है!

उनके घर को रोशन करने के लिए हम अश्क बहाते रहे,
दिये बुझ न जायें कहीं, ये सोच के वो हमें और रुलाते रहे !!!

चैन जब अब तक नहीं तो चैन तब भी न होगा,
इक बार मिल लेने से दिल को तो सुकून होगा !

आज मुझे भी लोग जानते हैं, आज मुझे भी कुछ लोग चाहते हैं,
शायद सबको मालूम हो गया कि हम भी सनम के आशिक हैं !

मैं बस और बस दीवाना हूँ, चाहता रहूँगा,
मोहब्बत जताने का हुनर मुझमे नहीं,
दर्द से प्यार ऐसा हो गया है मुझे,
किसी की ख़ुशी चुराने का हुनर मुझमे नहीं,
जी रहा हूँ जीने ले लिए,
क्यूँ कि मरने का हुनर मुझे में नहीं !
मैं बस दिल की बात लिख देता हूँ,
महफिलें सजाने का हुनर मुझे में नहीं,

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