Thursday, April 14, 2011

सोचा न था...

सब कुछ यूँ बदला जायेगा,
हाथ से मेरे निकल जायेगा,
भीड़ में दुनिया की खो जाऊंगा,
मैं इतना अकेला हो जाऊंगा,
सब कुछ सूना सा दिखने लगेगा,
हर पल बेगाना सा लगने लगेगा,
जो अपना है वो भी छोड़ जायेगा,
जिंदगी मेरी भी साथ ले जायेगा,
मुस्कुराना भी मुश्किल होगा,
झूठ से भी मेरा रिश्ता होगा,
महफिलें तन्हा सी लगेंगीं,
तन्हाई भी अच्छी लगेगी,
यादों का ही सहारा होगा,
जीना भी न गवारा होगा,
किसी के न काम आऊंगा,
खुद का भी न रह पाउँगा,
रिश्तों से यूँ भागूँगा,
कुछ करने से यूँ डरूंगा,
सब कुछ ख़तम हो जायेगा,
ऐसा भी कोई मोड़ आएगा,
उनका ही होके रह जाऊंगा,
जिनसे न कभी मिल पाउँगा,
सच तो मुझे पता होगा,
फिर भी न यकीं होगा,
उम्मीदें मरना चाहेंगी,
यादें भी थक जाएँगी,
थक के हार जाऊंगा,
सोच के ही डर जाऊंगा,
मैं इतना बदल जाऊंगा,
खुद को न पहचान पाउँगा,
सोचा न था, कभी सोचा न था...

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