Thursday, August 4, 2011

फिर भी न जाने क्यूँ ...

दिल को समझा लिया है मैंने हँसने को,
फिर भी न जाने क्यूँ आँखों में पानी है !

भूल जाने की हद तक गया हूँ मैं इस बार,
फिर भी न जाने क्यूँ यादों में खोया हूँ !

वो मुझे नहीं मिलेंगे यकीन सा हो गया है,
फिर भी न जाने क्यूँ इंतज़ार कर रहा हूँ !

अब रोता नहीं हूँ मैं रातों को याद करके,
फिर भी न जाने क्यूँ हर रात जगा हूँ !

जा तो चुके हैं वो जिनसे से था वजूद मेरा,
फिर भी न जाने क्यूँ अब तक सलामत हूँ !

हर पल याद करता हूँ, बेहद चाहता हूँ जिसे,
फिर भी न जाने क्यूँ उसी से कहता नहीं हूँ !

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