Thursday, July 28, 2011

बोझ !

बचपन में पढाई का बोझ !
थोड़े बड़े हुए रुपयों का बोझ !
थोडा और बड़े हुए, करियर का बोझ !
और बड़े हुए जिम्मेदारियों का बोझ !
फिर थोड़े और बड़े हुए तो परिवार का बोझ !
और बड़े हुए समाज का भी बोझ !
इन बोझों को उठाते उठाते बहुत से पाप किये, बहुत से हुए!
अब बूढ़े हो गए तो अपने ही पापों का बोझ !

क्या इंसान एक मजदूर है ?

No comments:

Post a Comment