Monday, June 27, 2011

कुछ उटपटांग...

तुम याद आते रहो,
मैं भूलता रहूँगा,

तुम चाहे खामोश रहो,
मैं तो सुनता रहूँगा,

तुम रुलाते रहो,
मैं हँसता रहूँगा,

तुम रुसवा ही रहो,
मैं मनाता रहूँगा,

तुम वापस न भी आओ,
मैं तो यहीं रुका रहूँगा !

तुम मिटाते रहो,
मैं लिखता रहूँगा !



उनकी तस्वीर में सुकून है, अपनी तकदीर में सुकून है...
उनकी बाहों में सुकून है, अपनी राहों में सुकून है..
उनकी छाँव में सुकून है, अपने गाँव में सुकून है..
उनकी याद में सुकून है, अपनी फ़रियाद में सुकून है..



हमे उनसे प्यार होता तो इक बात थी,
मेरा दिल तो उनकी ज़ालिम अदा पे आया था,



काश थोडा डरना भी सीखा होता,
तो इश्क हमने भी न किया होता !



जिस दिन से तुझे चाहा है,
तेरी रुसवाई से भी चाहत हो गयी !



तूफान में भी दिया लेकर चलें हैं हम,
दिल को इस कदर लेकर चले हैं हम !



कहने को तो आसन हो गया की वो बेवफा हो गए,
खुद में नहीं देखा अब तक की वो ऐसे क्यूँ हो गए !



आज तो यहाँ ओलों की बारिश होगी,
कल उनकी आँखों से पानी की हुई होगी !



कुछ ज़माने की साजिश सी लगती है,
तेरी बातों में अब भी कशिश लगती है,
यूँ न जा सकते थे तुम हमे मार के,
तेरी कुछ तो जायज़ मजबूरी लगती है !



आये थे खंजर लेकर मुझे मारने वो,
मर भी गए हम बेनकाब जो आये वो,



वादा तो साथ देने का मैं भी किया था,
जा रहे थे तो हमने जाने क्यूँ दिया था !



उनके कातिल होने का गुनाह उनका नहीं,
उनकी अदाओं का दीवाना बस ज़माना ही नहीं,
या खुदा मारने का अच्छा तरीका है इश्क,
मर जाये कोई आवाज़ भी नहीं और दर्द भी नहीं !

(Special Thanks to Harshadkumar Somaiya Ji)



न तुझे छोड़ सकते हैं तेरे हो भी नही सकते
ये कैसी बेबसी है हम रो भी नहीं सकते
ये कैसा दर्द हैं हमें पल पल तडपाये रखता हैं
तेरी याद आती है तो फिर सो भी नहीं सकती
छुपा सकते हैं न दिखा सकते हैं लोगों को
कुछ ऐसे दाग हैं दिल पर जिन्हें हम धो भी नही सकते!
-दीपिका ठाकोर जी द्वारा !

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