Friday, June 17, 2011

इनका कोई धर्म नहीं है क्या?


ये जो सागर है इसका धर्म क्या है? ये किस धर्म के लोगों के लिए बना है? हम दूसरे धर्म के लोगों का छुआ नहीं खाते ना ही पीते, फिर हम एक ही नदी का पानी क्यूँ पीते हैं?

इस हवा का धर्म क्या है? एक ही हवा जो सबको छूती है उसी से सांस क्यूँ लेते हैं? ये हर धर्म के लिए अलग अलग होगी न? जैसे सब धर्मों ने अपने अपने नियम बना लिए हैं तो फिर इस हवा इस समुद्र इस आसमान का बंटवारा क्यूँ नहीं किया?
और हम जो अनाज सब्जी खाते हैं वो भी तो एक जमीन से ही निकलती है! क्या ये धरती का भी कोई धर्म नहीं? हो सकता है हम जो अनाज खा रहे हैं वो किसी दूसरे धर्म के किसान के खेत का हो! फिर तो हमारा धर्म भ्रष्ट हो जाना चाहिए न?
इन पंक्षियों का क्या धर्म है? ये तो सबके घर पे बैठते हैं! सबके लिए गीत गाते हैं!
अच्छा ये जो पेड़ पौधे हैं इनका तो कोई धर्म होगा ही! पर फिर ये सबके लिए फल क्यूँ देते हैं? सबको छाँव क्यूँ देते हैं? इनकी लकड़ी हर कोई कैसे प्रयोग कर लेता है? अलग अलग धर्म वाले अलग पेड़ क्यूँ नहीं इस्तेमाल करते?
चलिए मान लिया ये सब तो प्राकृतिक है इसलिए इनका धर्म नहीं है पर उन इंसानों का क्या जो सबके लिए घर बनाते हैं? जो सबके लिए कपडा सिलते हैं? उन किसानों का क्या जो सबके लिए अन्न उगते हैं?

इनका भी तो धर्म है, फिर ये लोग धर्म देख के काम क्यूँ नहीं करते? मुझे तो ये दुनिया समझ में ही नहीं आती... कभी धर्म का आडम्बर करते हैं पर अपने मतलब के लिए सब भूल जाते हैं..
अगर हम सच में किसी धर्म को मानते हैं तो फिर पूरा क्यूँ नहीं मानते?
और एक बात जब हम उस नदी का पानी पी सकते हैं जिसमे हर जाति और हर वर्ग के लोग नहाते और पानी पीते हैं तो फिर उनके साथ अच्छा व्यवहार क्यूँ नहीं कर सकते?

कोई मुझे कृपया बता दीजियेगा इन सबका धर्म क्या है जिससे की मैं अगली बार से सावधान रहूँ !

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