Saturday, March 12, 2011

एक प्रार्थना !

मैं नहीं जनता ये क्यूँ हुआ, सही हुआ या गलत हुआ,
मैं ये भी नहीं जानता कि इसका जिम्मेदार कौन है,
बस मैं ये जानता हूँ कि जो हुआ दुखद हुआ,
चाहें हम हो या आप इसके पीछे दुःख सबको है !


हाँ मैं जानता हूँ कि मृत्यु ही जीवन का सत्य है, मैं अपनाता हूँ,
पर एक सच ये भी है कि ये रिश्ते भी आप ने ही बनाये,
लोगों से प्यार करना भी आप ही ने सीखाया,
हम सबको भी आपने ही बनाया है, जीना भी सीखाया है,
पर ये भी आप ने ही कहा है कि सबसे प्रेम करो,
सबका दुःख बांटो और सबसे ख़ुशी बांटो भी आपने ही बताया है,
वासुधैव कुटुम्बकम भी आपने ही बताया है !


मैंने अपने को बहुत अकेले पाया आज, जब बिखर गया मेरा परिवार,
मेरी आँखों में भी आंसू आ गया, जब उजड़ गया उनका संसार !


मैं आपसे कोई शिकायत नहीं कर रहा, मैं आपसे बस याचना कर रहा हूँ,
आप ही ने अपनी संतान माना है तो मैं आप ही से प्रार्थना कर रहा हूँ !
हे प्रभु ! हे दयावान ! हे दीनदयाल !
हमें क्षमा कर दो ! हम अज्ञानी हैं, मूर्ख हैं, पापी है !
पर जैसे भी हैं आपके ही हैं !
हे प्रभु उनको जिन्हें ये कष्ट साक्षात् सहन करना पड़ रहा है,
उन्हें शक्ति देना और जो इनके कारण हैं उन्हें सद्बुद्धि देना !

हे प्रभु सब पर दया करना !

2 comments:

  1. ~great..
    meri shirt uski shirt se zyada safed kaise ho aaj adami isi bhagambhag me laga hai..aise me aapki ye 'prarthanaa'..mahaan soch hai..

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  2. @Saquib Ahmed Ji: Shukriya...

    जब हम अपने को लाचार समझते हैं तो खुदा के पास जाते हैं और प्रार्थना (दुआ) करते हैं...
    अगर हम ये भूले हीं न कि वो सब देख रहा है तो ऐसा दिन आएगा ही नहीं...
    वैसे एक बात कही गयी है:
    कौन कहता है कि खुदा नज़र नहीं आता,
    जब कुछ नज़र नहीं आता तब खुदा नज़र आता है !

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