एक सुबह ऐसी भी हो,
जिससे मिलते हैं सपने में,
पास मेरे वो खड़ी हो,
होठों पे मुस्कान हो,
हाथों में हाथ भी हो,
नज़रों से नज़रें मिलीं हों,
फिर नज़रें झुकी भी हों,
जब देखे वो मुझे,
जैसे जन्नत मिली हो,
कुछ भी न बात हो,
ख़ामोशी का ही साथ हो,
दिल से दिल भी मिले हों,
जैसे बरसों से बिछड़े हों,
फूलों की बरसात हो,
सनम का जो साथ हो,
देखे धरती और आसमाँ,
ऐसा ये मिलन हो,
सारा जहाँ सुबूत हो,
कहीं ये भी न ख्वाब हो,
एक सुबह ऐसी भी हो,
सामने मेरे वो खड़ी हो !
जिससे मिलते हैं सपने में,
पास मेरे वो खड़ी हो,
होठों पे मुस्कान हो,
हाथों में हाथ भी हो,
नज़रों से नज़रें मिलीं हों,
फिर नज़रें झुकी भी हों,
जब देखे वो मुझे,
जैसे जन्नत मिली हो,
कुछ भी न बात हो,
ख़ामोशी का ही साथ हो,
दिल से दिल भी मिले हों,
जैसे बरसों से बिछड़े हों,
फूलों की बरसात हो,
सनम का जो साथ हो,
देखे धरती और आसमाँ,
ऐसा ये मिलन हो,
सारा जहाँ सुबूत हो,
कहीं ये भी न ख्वाब हो,
एक सुबह ऐसी भी हो,
सामने मेरे वो खड़ी हो !
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