Friday, September 9, 2011

बस ऐसे ही, एक बार और ...

कल तू मेरे साथ ही थी, हर पल आस पास थी,
बदलता है कैसे नसीब, आज तेरा साया भी नहीं !

मैं तो तेरा हो चुका था, तुने भी मुझे अपनाया था,
सोचता हूँ आज, फिर भी मैंने क्यूँ तुझे पाया नहीं !

जो जिंदा है तेरी दुआओं से, करता है याद हर पल,
क्या वो तुझे एक बार भूले से भी याद आया नहीं !



कोई अलफ़ाज़ पे मरता है तो कोई ऐतराज़ पे मरता है,
मरते सब हैं यहाँ, कोई मोहब्बत पे तो कोई जरूरत पे !


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