जिनकी ख़ामोशी ही सब कह देती है,
वो कहते कि हम कुछ कहते ही नहीं !
जिनकी आँखें ही सब बयां कर देती हैं,
वो कहते कि हम कुछ पूछते ही नहीं !
जिनकी रुसवाई ही हमें मार देती है,
वो कहते कि हम मिला करते ही नहीं !
जिनकी मुहब्बत ही जिन्दा रखती है,
वो कहते कि हम प्यार करते ही नहीं !
जिनकी याद में हम रोया करते हैं,
वो कहते कि हम इंसान ही नहीं !
वाह! क्या अंदाज़-इ-मुहब्बत है उनकी,
न मिलते हैं, न जुदा ही करते हैं मुझे !!!
वो कहते कि हम कुछ कहते ही नहीं !
जिनकी अदा ही चीर के रख देती है,
वो कहते कि हम उनपे मरते ही नहीं !जिनकी आँखें ही सब बयां कर देती हैं,
वो कहते कि हम कुछ पूछते ही नहीं !
जिनकी रुसवाई ही हमें मार देती है,
वो कहते कि हम मिला करते ही नहीं !
जिनकी मुहब्बत ही जिन्दा रखती है,
वो कहते कि हम प्यार करते ही नहीं !
जिनकी याद में हम रोया करते हैं,
वो कहते कि हम इंसान ही नहीं !
वाह! क्या अंदाज़-इ-मुहब्बत है उनकी,
न मिलते हैं, न जुदा ही करते हैं मुझे !!!
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