रह रह के उठते हैं ये सवाल,
पर मिलता नहीं कोई जवाब,
कैसी होगी वो मेरे बिन,
कैसे कटते होंगे उसके दिन,
कैसे बीतती होंगी उसकी रातें,
किससे करती होगी मेरी बातें,
कुछ और भी सवाल हैं,
मचा रहे जो बवाल हैं,
क्या हो गया था हमको,
क्यूँ पता चल गया था सबको,
क्यूँ बदल गया था अपना रिश्ता,
कहने लगे थे लोग अपना किस्सा,
क्या खता हो गई थी हमसे,
क्यूँ खफा हुई थी वो हमसे,
क्यूँ रोक नहीं पाए जाने से,
कैसे देखा जाते भीगी आँखों से,
क्या सब कुछ ठीक हो जायेगा,
क्या ये दिल फिर से मिल पायेगा,
कब मिलेगा दिल का सुकून,
कब होगा जीना का जूनून,
रह रह के उठते हैं ये सवाल,
कोई तो बताये इनका जवाब !
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