एक सुबह ऐसी भी हो,
जिससे मिलते हैं सपने में,
पास मेरे वो खड़ी हो,
होठों पे मुस्कान हो,
हाथों में हाथ भी हो,
नज़रों से नज़रें मिलीं हों,
फिर नज़रें झुकी भी हों,
जब देखे वो मुझे,
जैसे जन्नत मिली हो,
कुछ भी न बात हो,
ख़ामोशी का ही साथ हो,
दिल से दिल भी मिले हों,
जैसे बरसों से बिछड़े हों,
फूलों की बरसात हो,
सनम का जो साथ हो,
देखे धरती और आसमाँ,
ऐसा ये मिलन हो,
सारा जहाँ सुबूत हो,
कहीं ये भी न ख्वाब हो,
एक सुबह ऐसी भी हो,
सामने मेरे वो खड़ी हो !
जिससे मिलते हैं सपने में,
पास मेरे वो खड़ी हो,
होठों पे मुस्कान हो,
हाथों में हाथ भी हो,
नज़रों से नज़रें मिलीं हों,
फिर नज़रें झुकी भी हों,
जब देखे वो मुझे,
जैसे जन्नत मिली हो,
कुछ भी न बात हो,
ख़ामोशी का ही साथ हो,
दिल से दिल भी मिले हों,
जैसे बरसों से बिछड़े हों,
फूलों की बरसात हो,
सनम का जो साथ हो,
देखे धरती और आसमाँ,
ऐसा ये मिलन हो,
सारा जहाँ सुबूत हो,
कहीं ये भी न ख्वाब हो,
एक सुबह ऐसी भी हो,
सामने मेरे वो खड़ी हो !
No Copyright © if being used for love...
emotions dripping down
ReplyDeleteone after another
slowly filling
the love filled heart
dreams close enough
to being a reality
dangle infront of me
waiting for the moment
to break out from the
self imposed restraint
that is killing me
day after day!
as the whisper of winds
gently caress the night sky
a familiar longing
rekindles the emotions
wandering through the
darkness of the night
the face that i long to hold
appears in every little thing i see;
if only the wind could carry
the unrevealed emotions
that my heart is crying out every night,
i would send it as my messenger right away!
as the night spreads its shadows across the land
i close my eyes, thinking of the moment
when you came in and stole my thoughts,
dreaming of the smile that melted my heart!
@Shamit:
ReplyDeleteWoooooooooooooooooW !!!
Any one if reads this poem will fall in love with !!
amazing pen and thoughts !