वाह ! आज देखी तेरी दरिया दिली,
दुश्मन से भी तू दोस्त जैसे मिली !
यहाँ तूफान में उजड़ रहे थे हम,
वहां तेरे पास तो हवा भी न चली !
मेरे जाते ही तुमको वो सुकून मिला,
मानो कितनी बड़ी कोई बला टली !
गुलशन के इंतज़ार में बैठे थे हम,
कुचल दी तुमने वो एक खिलती कली !
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