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यूँ तो कहने को बहुत कुछ है दिल में,
जो तुम नहीं हो सुनने को, मैं चुप हूँ !
यूँ तो बातें आज भी बहुत सी हैं करनी,
जो तुम नहीं हो करने को, मैं चुप हूँ !
यूँ तो तड़प आज भी बसी है दिल में,
कहीं तुम्हे ऐतराज़ हो तो, मैं चुप हूँ !
यूँ तो मोहब्बत मरी नहीं है मुझ में,
जो ऐतबार नहीं तुमको, मैं चुप हूँ !
यूँ तो सलामत हैं हम दुआओं से तेरी,
पर कहीं यादों के जालों में, मैं गुम हूँ !
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