उन्हें लगता है उन्हें भूल गए हैं हम,
उन्हें क्या पता है कैसे जी रहे हैं हम !
उन्हें लगता है उनसे बेवफा हो गए हैं हम,
उन्हें क्या पता खुद से खफा हो गए हैं हम !
उन्हें लगता है चाह कर उनसे दूर हो गए हैं हम,
उन्हें क्या पता दूरी से टूट के चूर हो गए हैं हम !
उन्हें लगता है उन्हें जाने से रोके नहीं हम,
उन्हें क्या पता कि कितनी बार हारे हैं हम !
उन्हें लगता है कि रातों को चैन से सोते हैं हम,
उन्हें क्या पता उनकी याद में कितना रोते हैं हम !
उन्हें लगता है उन्हें भूल जायेंगे कभी हम,
उन्हें क्या पता फिर कैसे जी पायेंगे हम !
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उन्हें बस लगता है और वो मान लेते हैं,
हम कहते भी हैं तो वो इनकार करते हैं !
उन्हें क्या पता है कैसे जी रहे हैं हम !
उन्हें लगता है उनसे बेवफा हो गए हैं हम,
उन्हें क्या पता खुद से खफा हो गए हैं हम !
उन्हें लगता है चाह कर उनसे दूर हो गए हैं हम,
उन्हें क्या पता दूरी से टूट के चूर हो गए हैं हम !
उन्हें लगता है उन्हें जाने से रोके नहीं हम,
उन्हें क्या पता कि कितनी बार हारे हैं हम !
उन्हें लगता है कि रातों को चैन से सोते हैं हम,
उन्हें क्या पता उनकी याद में कितना रोते हैं हम !
उन्हें लगता है उन्हें भूल जायेंगे कभी हम,
उन्हें क्या पता फिर कैसे जी पायेंगे हम !
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उन्हें बस लगता है और वो मान लेते हैं,
हम कहते भी हैं तो वो इनकार करते हैं !
बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
ReplyDelete@Sanjay Ji, Bahut Bahut aabhari hun aaPka !
ReplyDeleteBas aPna aashirwaad banaye rakhein !
:)