याद करता हूँ जैसे हर सांस,
तुझको भी किसी पल याद मेरी आती तो होगी,
साथ बुनी कुछ यादें और बातें,
तन्हाई के उस पल में तुझको भी सताती तो होगी,
होती होंगी बातें करने को हजार जब,
मान के मुझको सामने खुद से ही बताती तो होगी,
यूँ तो बहुत खुश होगी दूर मुझसे,
तुझको भी किसी पल याद मेरी आती तो होगी,
साथ बुनी कुछ यादें और बातें,
तन्हाई के उस पल में तुझको भी सताती तो होगी,
होती होंगी बातें करने को हजार जब,
मान के मुझको सामने खुद से ही बताती तो होगी,
यूँ तो बहुत खुश होगी दूर मुझसे,
फिर भी लौट के करीब आना चाहती तो होगी,
देखता हूँ जिन्हें ख्वाबों में, लिखता हूँ जिन्हें पन्नों पे,
उन लम्हों का सपना तुम भी अपने मन के आशियाने में सजाती तो होगी...
-अनुराग
देखता हूँ जिन्हें ख्वाबों में, लिखता हूँ जिन्हें पन्नों पे,
उन लम्हों का सपना तुम भी अपने मन के आशियाने में सजाती तो होगी...
-अनुराग
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